अली इब्ने अबी तालिब शेरे खुदा part 2

अली इब्ने अबू तालिब part 2
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जंगे खेबर के बाद मौला अली ने कई लड़ाइयां लड़ी और उसमें वह जीत गए. कुछ दिनों के बाद हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला वसल्लम अपने 124000 सहाबियों  के साथ हज अदा करने के लिए गए। हुजूर  ने वापस आते वक्त तमाम सहाबियों और आसपास के लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा कि अब मेरे जाने का वक्त आ गया है कि जब मैं अपने रब ताला के पास हमेशा के लिए चला जाऊंगा। पर मैं तुम्हारे लिए दो चीज से छोड़े जा रहा हूं।

 जो भी इन दो चीजों को अपने साथ रखेगा वह खुदा के रास्ते से कभी भी नहीं भटके गा। पहली चीज है अल्लाह की किताब कुरान शरीफ और दूसरी चीज है मेरी अहलेबेत। तुम मेरी‌ अहलेबेत से अगर मोहब्बत करोगे तो तुम बेशक अल्लाह के करीब रहोगे।  मोहम्मद मुस्तफा ने तमाम लोगों से पूछा क्या सच में मैं तुम्हारे बहुत गरीब हूं तब सभी लोगों ने कहा कि है या मुस्तफा आप हमारे बहुत करीब है हम आपके लिए अपनी जान ए तो कुर्बान कर सकते हैं तब मोहम्मद मुस्तफा ने फरमाया कि सुनो जिस जिसके लिए मैं मोला हूं उनके लिए आज से अली मौला है और फिर मोहम्मद मुस्तफा मौला अली का हाथ आसमान की तरफ बुलंद करते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं कि अल्लाह जो लोग अली से मोहब्बत रखते हैं तो उनसे मोहब्बत रख और जो लोग अली से बुक्ज रखते हैं तो उनसे बुक्ज रख।


 तो अल्लाह ने यह सुनकर फौरन हजरत जिब्रील को जमीन पर भेजा कि नीचे जाकर बताओ कि ए मेरे महबूब हमने तुम्हारी दुआ कबूल कर ली है ।3 महीने बाद हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला वसल्लम इस दुनिया से पर्दा फरमा गए पर जाने से पहले उन्होंने अपना अमामा ,अपना खंजर ,आसा, तलवार, शबे मेराज वाली कमीज मौला अली के हवाले कर दी।


मोहम्मद मुस्तफा के बाद हजरत अबू बकर खलीफा मुकर्रर किए हैं फिर हजरत हजरत उमर इस्लाम के खलीफा बने। फिर ‌हजरत उस्मान इस्लाम के खलीफा बने और फिर हजरत मौला अली इस्लाम के खलीफा मुकर्रर किए गए। मोहम्मद मुस्तफा ने लाख से भी ज्यादा हदीस हजरत मौला अली की शान में कही है हजरत मोहम्मद मुस्तफा फरमाते हैं कि जिसको भी हजरत आदम का आवरण, मुसा की ताकत और ईसा की इबादत देखनी है तो वह मौला अली को देखें। मोहम्मद मुस्तफा फरमाते हैं कि मैं ईल्म का शहर हू और उसका दरवाजा है। सि


मोमिन ही अली से मोहब्बत कर सकता है क्योंकि मुनाफीक हमेशा अली से बुक्ज रखता है। अली का चेहरा देखना भी ईबादत है और अली का जिकर करना भी  ईबादत है जो कोई मौला अली का दुश्मन है मोहम्मद मुस्तफा का दुश्मन है और जो मोहम्मद मुस्तफा का दुश्मन है वह अल्लाह पाक का दुश्मन है।

विसाल
मौला अली 21 रमजान 40 हिजरी और अंग्रेजी तारीख के मुताबिक 21 जनवरी 661 ईस्वी को दुनिया से पर्दा फरमा गए।

अली इमामे मानसतो मनम गुलामे अली
 हजार जाने गिरामी फिदा ए नामें अली
 हैदरियम कलंदरम् मस्तम् बंदा ए मुर्तजा अली हस्तम
 पेशवा ए तमाम रिदांनम के सगे कुवे शेरे अजदानम

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