Ali Ibn Abu Talib Biography

अली इब्ने अबू तालिब शेरे खुदा

नाम:-इमाम अली इबने अबू तालिब
पैदाइश:- तकरीबन इस्लामी कैलेंडर के पास बनने से 500 साल पहले  
13 रजब या 15 सितंबर 601 या फिर एक 29 सितंबर 599 खाना ए काबा के अंदर
वालिद:- हजरत अबू तालिब
वालिदा:- हजरत बीबी फातिमा बिनते असद 


मौला अली को 12 लड़के और 16 साहबजादी थी मौला अली के पैदाइश के पहले अहले कुरेश मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला वसल्लम को बहुत परेशान किया करते थे  उनके मानने वालों को भी वह बहुत परेशान किया करते थे तब अक्सर मोहम्मद मुस्तफा ऊंची जगह जाकर अल्लाह की इबादत किया करते और अल्लाह से दुआ मांगते किए अल्लाह हमारे लिए कोई मददगार अता कर जो हमारी हिफाजत करें 
1 दिन हजरत बीबी फातिमा बिनते असद का खाना ए काबा के पास दुआ कर रही थी तब अचानक खाना ही काबा की दीवार उड़ गई और गायब से आवाज आई कि बीबी फातिमा बिनते असद अंदर आ जाओ यह दीवार हमने सिर्फ तुम्हारे लिए ही खोली है यह देखकर आसपास के तमाम लोग  भागने लग गए। बीबी फातिमा काबा के अंदर चली गई । 



अल्लाह के हुक्म से तमाम फरिश्ते उनके लिए जन्नत से फल और खाना लेकर जाया करते थे जब मौला अली की पैदाइश का वक्त नजदीक आया तब अल्लाह ने बीबी हवा बीबी मरियम हजरत मूसा अली सलाम की वालिदा और बीवी आशिया इन चार बीवियों को उनके पास भेज दिया क्योंकि वह मौला अली का इस्तकबाल करने वाले थे जब मौला अली की पैदाइश हुई तब आपको जन्नती लिबास पहनाया गया आपको जन्नती खुशबू से नवाजा गया 3 दिन तक बीबी फातिमा खाना ए काबा में रही 3 दिन के बाद आप खाना ए काबा से बाहर आ गई और जब आप बाहर आई तो आपने देखा कि मोहम्मद मुस्तफा मौला अली के इंतजार में खड़े हैं तब मोहम्मद मुस्तफा मौला अली को अपनी गोद में लेते हैं और आप के कानों में अजान देते हैं तब मौला अली अपनी आंखें खोल देते हैं सबसे पहले आप मोहम्मद मुस्तफा का दीदार करते हैं। अल्लाह पाक हजरत जिब्रील को कहते हैं कि जाओ मोहम्मद मुस्तफा को अली के पैदाइश ही बधाइयां दो और उन्होंने जाकर कहो कि यह आपका भाई है यह खुदा का शेर है इससे ऐसा नाम दीजिए जो नाम मुझ से शुरू होता है मैं सिर्फ एक हूं इसलिए उसे मेरा ही नाम दियो। हजरत जिब्रील अल्लाह का यह फरमान मोहम्मद मुस्तफा को सुनाते हैं और मोहम्मद मुस्तफा मौला अली को अली नाम देते हैं। अली यह नाम मौला अली की पैदाइश के पहले किसी को भी नहीं दिया गया था जैसे कि हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन यह नाम भी दुनिया में किसी को पहले नहीं दिया गया था मौला अली की पैदाइश के 7 दिन बाद आपके वालिद ने आपका हकीका किया आप की परवरिश की जिम्मेदारी खुद मोहम्मद मुस्तफा ने की। अल्लाह ने अपने नूर से मोहम्मद मुस्तफा को पैदा फरमाया और अल्लाह ने मौला अली को मोहम्मद मुस्तफा के नूर से पैदा फरमाया जब मौला अली की उम्र 22 साल हुई तब आपके वाले दुनिया से परवाज फरमा गए। जब कबीला ए कुरैश को पता चला कि अबू तालिब इस दुनिया में अब नहीं रहे हैं तो उन्होंने मोहम्मद मुस्तफा और उनके साथियों पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया करीब 2 साल तक वह उनका जुल्म सहते रहे फिर अल्लाह के हुक्म से मोहम्मद मुस्तफा और उनके साथी मदीना की तरफ रवाना कर गए पर कबीला एक कुरेश ने देखा कि मोहम्मद मुस्तफा की वजह से कई लोग इस्लाम अपना रहे हैं तो 2 साल बाद कभी लाए कुरैश ने हजार फौज का लश्कर उन से लड़ाई करने के लिए भेजा तब पहली बार लोगों ने मौला अली को लड़ते हुए देखा जब आप मौला अली लड़ रहे थे तब लोगों ने आपका शहर देखकर अल्लाह हू अकबर की सदाएं बुलंद करने लग गए। यही इस्लाम की पहली जीत थी जो उन्होंने जो उनको मौला अली की वजह से मिली थी इस जंग को जंग-ए-बदर कहा जाता है फि


625 ईसवी में कबीलाई कुरेश ने 3000 का लश्कर भेजा जब मुस्लिमों ने यह देखा कि लश्कर आ रहा है तो वह भागने लगे पर सिर्फ अकेले मौला अली ही लड़ते रहे और वह जीते भी इस जंग को जंगे वहद कहा जाता है 1 साल बाद मौला अली की वालिदा इस दुनिया से परवाज फरमा गई। कबीलाई कुरेश यह कहने लगे कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो सारे लोग इस्लाम अपना लेंगे और हमें खत्म कर देंगे फिर 627 इसी में अबू सुफियान अपना लश्कर लेकर मदीना के आसपास पूरी तरह अपना लश्कर लेकर ठहर गया जब लोगों ने देखा कि वह चारों तरफ से घिर चुके हैं तब उनमें एक अजीब सा खौफ नाजिल हो गया और वह डरने लगे तब अबू सुफियान के लश्कर में से एक आदमी आया और वह जोर-जोर से कहने लगा है कोई यहां पर जो मरना चाहता है जो मुझसे लड़ेगा तब यह सुनकर लोग और ज्यादा डरने लग गए और तब मौला अली अपने खेमे से बाहर आए और उन्होंने रसूल अल्लाह से इजाजत मांगी कि मैं लड़ने के लिए जाना चाहता हूं। तब मुस्तफा ने आपको इजाजत दी और तमाम लोगों से कहा कि आज खुली इमाम कुल्ले कुफ्र के सामने जा रहा है जब उस आदमी ने देखा कि हजारों के लश्कर से लड़ने के लिए सिर्फ एक इंसान आ रहा है तब वह मौला अली से कहने लगा कि तुम्हें डर नहीं लगता जो तुम मेरे सामने लड़ने के लिए आ रहे हो होशियार हो जाओ वापस चले जाओ वरना मैं तुम्हारी टांगें इस घोड़े की तरह काट दूंगा और वह इंसान तो तुरंत घोड़ी की टांगे काट देता है तब मौला अली ने कहा कि तुझे अपनी ताकत पर बहुत ज्यादा गुरूर है तो देख आज ये खुदा का शेर क्या ताकत से लड़ता है मौला अली ने पहली बार में उसके दोनों पैर काट दिया अबू सुफियान और उसका लश्कर यह देखकर डर गए और वह वहां से भाग गए इस लड़ाई को जंगे एहसाप कहा



 जाता है 1 साल के बाद मुस्लिम खबर फतेह करने के लिए निकल पड़े हर रोज लोग जाते उनसे लड़ते पर मरहब के खौफ से वह वहां से भाग जाते ऐसा 40 दिनों तक चला फिर मुस्तफा ने कहा कि कल मैं अलम उसे दूंगा जो करार होगा जो खुदा का शेर होगा जो अल्लाह और मेरा दोस्त होगा और अगले दिन मोहम्मद मुस्तफा ने आलम मौला अली के हाथ में दिया जब मौला अली जंगे मैदान में गए तो उन्होंने पहले ही बार में महक के भाई को कत्ल कर दिया जब मर आपको पता चला कि उसके भाई का कत्ल हो गया है वह बहुत गुस्से में आ गया और अब बाहर आकर कहने लगा कि तुम सब मुस्लिम आज मेरे हाथों से मरने वालों को मेरी मां ने मुझे मरहब नाम दिया जिसका मतलब जो मौत से नहीं डरता इसी जन्म में मौला अली को जुल्फिकार अली खुदा की तरफ से मिली थी तब मौला अली इस पर बोले कि मेरा नाम भी अली है मतलब खुदा का शेर जब महक ने पहला बार किया तो मौला अली ने उसके बार पर तुरंत एक ही बार किया जिससे उसके दो टुकड़े हो गए फिर मौला अली ने खैबर का दरवाजा उखाड़ लिया और उसे 70 कदम दूर फेंक दिया। 


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